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१२
महेश शर्मा घार की कहानी
"बाबूजी की आराम कुर्सी"

आफिस से शाम को घर आते ही मुझे घर के ओटले पर जो नजर आया , मैं ठिठक गया । था तो कुछ नहीं लेकिन ओटले पर पुरानी आराम कुर्सी खाली रखी हुई थी । वही कुर्सी जिस पर रोजाना बाबूजी बैठते थे । हालाँकि पिछले तीन वर्षो से वे हमारे बीच नहीं थे ,और तभी से मैंने उनकी आराम कुर्सी को घर के एक कमरे में सुरक्षित उनकी यादगार के रूप में रख दिया था । आज अचानक कुर्सी बाहर दिखी , लेकिन किसी बेनूर उदास ,शोकपूर्ण मुद्रा वाली पत्थर की मूर्ति की तरह ।
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