ये सिर्फ यादें ही तो है ,
क्या हुवा अगर सताती है,
मगर पास तो वही रह जाती है,
ये सिर्फ यादें ही तो है ,
भूल जाने की फितरतो के बीच
खीच किस्सी किनारे की ओर,
बंद निगाहों से
ये बरसातो क दौर ,
ये सिर्फ यादें ही तो है ,
उनके अक्स को ,जेहन में जिन्दा रखे हुये
बोझिल मन की रौनक लिये
अब ये सिर्फ यादें ही तो है |
मोहित कुमार पांडे
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