इंसान हो तो पहले इंसान देखो
बाद उसके मजहब औ ईमान देखो !
देश सेवा के अनेकों मार्ग हैं
अपनी काबिलियत का एक मुकाम देखो !
गर्व हो सबको तुम्हारे काम पर
अपनी खातिर ऐसा ही कुछ काम देखो !
न बड़ा - छोटा न कोई काम है
मंजिलें गुमराह होने के साथ देखो !
दो गज ज़मीन काफ़ी है इंसान को
इससे ज्यादा दूसरों के साथ देखो !
शान-ओ-शौकत जिंदगी में इतनी हो
दिल में रहो तुम ; तुम्हारे बाद , देखो !
सियासत ने लोगों को बाँटना सिखाया है
तुम, सियासत; बाँट कर खाने के बाद देखो !
गर्व से हो जाएगा चौड़ा तुम्हारा सीना
आँसुओं से भीगा चेहरा किसी का, पोंछने के बाद देखो !
दाग दामन में लगाने को कीचड़ उछालते हैं जो
उन्हें तुम बर्फ के पानी में नहाने के बाद देखो !
इंसानियत उनको भी समझ आ जायेगी एक दिन
बेवज़ह गैरों का दामन थाम के देखो !
नितिन चौरसिया
मेरा नाम नितिन चौरसिया है और मैं चित्रकूट जनपद जो कि उत्तर प्रदेश में है का निवासी हूँ ।
स्नातक स्तर की पढ़ाई इलाहाबाद विश्वविद्यालय से करने के उपरान्त उत्तर प्रदेश प्राविधिक विश्वविद्यालय से प्रबंधन स्नातक हूँ । शिक्षणऔर लेखन में मेरी विशेष रूचि है । वर्तमान समय में लखनऊ विश्वविद्यालय में शोध छात्र के रूप में अध्ययनरत हूँ ।
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