रविवार का दिन ।
नवाबों का शहर ।
गीत ग़ज़लों के बीच शाम ।
है बहुत कुछ इस शहर की आबोहवा में ।
आजकल गंज में ट्रैफिक ज्यादा रहता है ।
मेट्रो का काम चल रहा है ।
फिर भी गंज तो गंज है ।
वही गुलजार और रोशन गली ।
और गलियों के किनारे ढेरों शोरूम्स ।
और ढेरों लोग ।
सब अपने में मशगूल ।
शोर भी है पर शान्ति भी ।
भीड़ भी है और तन्हाई भी ।
खामोशी से आगे बढ़ती गोमती नदी ।
हाँ, रिवरसाइड पार्क के पास ।
कुछ दिनों पहले यहाँ थी ढेरों जेसीबी मशीनें ।
एक तेज हवा का झोंका ।
अब बादल भी नहीं संभाल पा रहे ।
अपने साथ बूँदों का बोझ ।
बारिश का मौसम ।
नवाबों का शहर ।
रविवार का दिन और भी बहुत कुछ ।
हाँ, है बहुत कुछ इस शहर की आबोहवा में ।
-नितिन चौरसिया
मेरा नाम नितिन चौरसिया है और मैं चित्रकूट जनपद जो कि उत्तर प्रदेश में है का निवासी हूँ ।
स्नातक स्तर की पढ़ाई इलाहाबाद विश्वविद्यालय से करने के उपरान्त उत्तर प्रदेश प्राविधिक विश्वविद्यालय से प्रबंधन स्नातक हूँ । शिक्षणऔर लेखन में मेरी विशेष रूचि है । वर्तमान समय में लखनऊ विश्वविद्यालय में शोध छात्र के रूप में अध्ययनरत हूँ ।
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