जल प्रबंधन
- मुकेश कुमार ऋषि वर्मा
- 3 सित॰ 2017
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सही - सही हो अगर जल प्रबंधन तो न हो हानि जन की - धन की न हो हाहाकार न गाँव - शहर बनें समुन्द्र बहे नदी कल - कल न धरे रौद्र रूप... |
पर इस मानवी लालच ने छेड़ा है प्रकृति को किया है दोहन अत्यधिक विकास के नाम पर नदियों को पाट दिया वृक्षों को काट दिया |
पहाड़ों को किया है नंगा जंगलों की करके सफाई कंकरीट के नये - नये जंगल बनाये हैं मानव ने पशु - पक्षियों के घर जलाये हैं प्रकृति ने बदले में मानव के घर बहाये हैं |
सही - सही हो अगर जल प्रबंधन और प्रकृति को न छेड़ा जाये तो ये धरती स्वर्ग बन जायेगी मानव सभ्यता बच जायेगी... ||
मुकेश कुमार ऋषि वर्मा गॉव रिहावली, डाक तारौली गुर्जर, फतेहाबाद-आगरा, 283111,उ.प्र.