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"एक फेफड़े वाली हंसा" : कहानी - सम्पादकीय प्राक्कथन

  • नीलम कुलश्रेष्ठ
  • 8 सित॰ 2017
  • 1 मिनट पठन

नीलम कुलश्रेष्ठ से हमें एक मंझी हुई कहानी की उम्मीद थी. उनकी कहानी एक फेफड़े वाली हंसा हमें बैठे से खड़ा कर देगी, हंसाएगी, सोचने को मजबूर करेगी, पढ़ते वक्त यह आभास ला पाएगी कि हम पढ़ नहीं कथानक का असल में अहसास कर रहे हैं, यह उम्मीद नहीं थी. इनकी कहानी एक फेफड़े वाली हंसा ... इस अंक में

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