ऐ जिन्दगी !
जितना मुझको तू समझे है, उससे भी आसान हूँ मैं,
थोड़ा-सा परेशान दिखे हूँ, थोड़ा-सा परेशान हूँ मैं !!
न तुमसा चंचल-कोमल हूँ, न ही तुझसा महान हूँ मैं..
पर जितना मासूम दिखे तू , उतना ही नादान हूँ मैं !!
तेरे रस्ते, तेरी गलियाँ, कुछ दिन का मेहमान हूँ मैं,
राही हूँ; बस ये जानू मैं, मंजिल से अंजान हूँ मैं !!
जितना तेरा साथ मिला था, उतना अब भी साथ हूँ मैं,
चार कदम चलना था तुझको, चार कदम को साथ हूँ मैं !!
शब्द शान्त जब हो जायें तब प्रतिध्वनियों का साज हूँ मैं,
जितना सीधा कल देखा था उससे सच्चा आज हूँ मैं !!
लहर ठहरती किसी घाट पर, लहरों-सा उन्वान हूँ मैं,
स्वयं-को स्वयं-में खोज रहा हूँ, स्वयं-से ही अंजान हूँ मैं !!
नितिन_चौरसिया
नितिन चौरसिया
शोध छात्र
लखनऊ विश्वविद्यालय
मेरा नाम नितिन चौरसिया है और मैं चित्रकूट जनपद जो कि उत्तर प्रदेश में है का निवासी हूँ । स्नातक स्तर की पढ़ाई इलाहाबाद विश्वविद्यालय से करने के उपरान्त उत्तर प्रदेश प्राविधिक विश्वविद्यालय से प्रबंधन स्नातक हूँ । शिक्षण और लेखन में मेरी विशेष रूचि है । वर्तमान समय में लखनऊ विश्वविद्यालय में शोध छात्र के रूप में अध्ययनरत हूँ ।