सच और झूंठ बताती आँखें | शर्म - हया दिखाती आँखें ||
मर जाये आँख का पानी, कठोर हृदय की पहचान कराती आँखें ||
प्यार - मुहब्बत की पहली सीढ़ी, शुरूआत कराती आँखें ||
घड़ियाली आंसुओं से बहुत दुःखी हो जाती आँखें ||
हृदय की तड़प से निकले आंसू, अमृत बना देती आँखें ||
बड़ी मासूम होती आँखें | सच और झूंठ बताती आँखें ||
मुकेश कुमार ऋषि वर्मा गॉव रिहावली, डाक तारौली गुर्जर, तहसील फतेहाबाद, आगरा, 283111