top of page
मुकेश कुमार ऋषि वर्मा

मेरी सफलता

हाँ आज मैं निराश हूँ

हताश हूँ... उदास हूँ...

लोगों की हंसी का पात्र हूँ

क्योंकि मैं बेरोजगार हूँ !

मेरी असफलताओं का रोज-रोज मजाक बनता है

अपने-परायों से

खाता हूँ तरह-तरह के ताने...

उलाहने...

मेरी पढ़ाई-लिखाई की डिग्रियां

अब महज रह गईं हैं कागज के टुकडे

और इनके साथ ही मेरे सपने हैं सिकुडे |

किन्तु मैं अभी रूका नहीं...

झुका नहीं... टूटा नहीं...

मैं तय कर चुका हूँ

चलना, सिर्फ चलना...

मुझे आगे बढ़ना है

सफल होना है

मेरा प्रयास

सिर्फ चलना है

कभी तो मिलेगी सफलता

एक बार तो मिलेगी सफलता

और एक बार मिली तो

सबके उपहासों का जवाब होगी

मेरी सफलता ||

0 टिप्पणी

हाल ही के पोस्ट्स

सभी देखें

अभिव्यक्ति

लबादे

पिता की पीठ

आपके पत्र-विवेचना-संदेश
 

bottom of page