प्रेम गीत - डॉ कुलवंत सिंह की कविताएं
- डॉ कुलवंत सिंह
- 25 अक्तू॰ 2018
- 4 मिनट पठन
कौन हो तुम ?
अधरों पे राग मलंद लिए.
मर्दमर्धुरस मकरंद पिए.
नयनों में संसृति हर्ष लिए.
सुंदर रचना कौन हो तुम ?
अलकों में तेरी सांझ ढ़ले.
पलकों से मृदुहास छले.
उर में मधुर प्रसून खिले.
शोभित रमणी कौन हो तुम ?
तन कौमुदी सिंगार किए.
पावों मे प्रमाद लिए.
मिलन का अभिप्राय लिए.
कांति कामिनी कौन हो तुम ?
वाणी कोकिल वास करे.
सुर में लय और छंद भरे.
खनक मधुर हृदय हरे.
चारू चंचला कौन हो तुम ?

पुकारता मुझको बार बार
अधीर हृदय सुनता झंकार
बसी पायलों मे मधु पुकार;
नख शिखा कर यौवन शृंगार
पुकारता मुझको बार बार ।
चेतना का मधुरिम संकेत
हृदय बसा सुकोमल आनंद;
ले कल्पना की मुक्त उड़ान
रूपसी संग भ्रमण सानंद ।
उज्जवल झरनों सी मुस्कान
लहराती शीतल मधुर गान;
प्रेम अनुभूति लेकर हिलोर
छेड़ती अंतस अभिनव तान ।
निस्सीम नभ सी प्रीत अनंत
असीम व्योम तल मृदु उल्लास;
संचित निधि तन अतुल सौगात
लहराती अंचल वपु विलास ।
निखरता स्वर्ण सा दमक गात
पुलकित झोंका अल्हड़ बयार;
ओढ़ चुनर धानी लता भासा
प्रकृति संग करती नयन चार ।
छंद में बंध कमनीय पास
सुंदरता की विभूति अपार;
संबल बन यौवन अनुभूति
जीवन हर्षित सुखद गुंजार ।
खन - खन बिखरी हंसी अभिराम
जड़ में सहज चेतन का भान;
चंचल नयना चपल वाचाल
मूक निमंत्रण मौन रसपान ।
बिखराती मलय देह सुकांत
अलस उषा निरखती अविराम;
मंद मलंद मोहक गति पांव
प्रकृति चकित रुक करती विश्राम ।
सुशोभित अनुकृति सुघड़ निहार
कानन कुसुम विस्मृति मुस्कान;
वाणी सुमधुर सप्त सुर गान
कोकिल कण्ठ, लय वीणा तान ।
संयम तोड़ रहा वृहत बांध
उमड़ अनुराग तरंग अबाध;
पुकारता मुझको बार - बार
कुसुमित वैभव यौवन निर्बाध ।

प्यार
प्यार के लिए उम्र की कोई बंदिश नही होती.
लेकिन प्यार हो जाए तो उम्र है आहिस्ता बढ़ती।
खुशियों की सौगात यदि जिंदगी में चाहिए.
ह्यहर पलहृखुशियों को बांटने वाला एक हमसफर चाहिए।
प्यार पा लिया एक बार. उसे पत्थर का बुत न बनाइये.
गूंधिये रोज आटे की तरह और नई रोटी बनाइये।
दिल को उपहार समझ पाने की तमन्ना न रखो.
दिल तो दिल है उसे प्यार करो और जीत लो।
दुनिया के लिए तुम केवल एक इंसान हो.
लेकिन प्यार में किसी के लिए तुम पूरी कायनात हो।
प्यार कीजिए तो कीजिए पागलपन की हद तक़
मिटा दे हस्ती खुद की. फना हो जाए रूह तक।
दुनिया मे सबसे बड़ा गम यह नही कि इंसान मरते हैं.
गम है तो यही कि इंसान प्यार करना छोड़ देते हैं।
प्यार वो चाबी है जिससे खुशियों के सारे ताले खुलते.
दुनिया से दुख दर्द मिट जाते. गर इंसां से इंसां प्यार करते।
यह कौन ?
यह कौन घर सजा गया?
यह कौन घर सजा गया?
हर वस्तु को उसका
पता ठिकाना बता गया।
यह कौन घर सजा गया?
यह कौन घर सजा गया?
तम विचरित नीड़ में
किरण पुंज बिखरा गया।
यह कौन घर सजा गया?
यह कौन घर सजा गया?
जहाँ निराशा बसती थी
आशा के दीप जला गया।
यह कौन घर सजा गया?
यह कौन घर सजा गया?
जहाँ न खिलते थे प्रसून
अधर कुसुम खिला गया।
यह कौन घर सजा गया?
यह कौन घर सजा गया?
जहाँ न तिरते थे सुर
राग मल्हार गा गया।
यह कौन घर सजा गया?
यह कौन घर सजा गया?
उर तपता था जहाँ
शीतलता बिखरा गया।
यह कौन घर सजा गया?
यह कौन घर सजा गया?
सूनेपन का था प्रवास जहाँ
खुशियों को बिखरा गया।
यह कौन घर सजा गया?
यह कौन घर सजा गया?
प्रीत से था बैर जहाँ
हृदय हलचल मचा गया
यह कौन घर सजा गया?
यह कौन घर सजा गया?
झंकृत
झन - झन झंकृत हृदय आज है वपु में बजते सभी साज हैं । पी आने का मिला भास है मिटेगा चिर विछोह त्रास है । मंद - मंद मादक बयार है खिल प्रकृति ने किया शृंगार है । आनन सरोज अति विलास है कानन कुसुम मधु उल्लास है । अंग - अंग आतप शुमार है देह नही उर कि पुकार है । दंभ, मान, धन सब विकार है प्रेम ही जीवन आधार है । रोम - रोम रस, रुधित राग है मिला जो तेरा अनुराग है । मन सुरभित, तन नित निखार है नभ - मुक्त, तल नव विस्तार है । घन - घन घोर घटा अपार है संग तुम मेरा अभिसार है । अनंत चेतना का निधान है मिलन हमारा प्रभु विधान है ।
परिचय

डॉ. कुलवंत सिंह
जन्म :11 जनवरी - रुड़की, उत्तराखंड
शिक्षा : प्राथमिक एवं माध्यमिक शिक्षा: करनैलगंज गोंडा (उ.प्र.) उच्च शिक्षा : अभियांत्रिकी, आई.आई.टी. रुड़की, (रजत पदक एवं 3 अन्य पदक)
MBA - IGNOU, PhD – मुंबई विद्यापीठ
पुस्तकें :
रचनाएं : प्रकाशित
1. निकुंज (काव्य संग्रह) 2. परमाणु एवं विकास (विज्ञान पुस्तक का अंग्रेजी से हिंदी में अनुवाद) 3. विज्ञान प्रश्न मंच (कक्षा 10 के छात्रों के लिये)
4. चिरंतन (काव्य संग्रह)
5. इंद्र-धनुष (बाल गीत संग्रह)
6. कज़ा (गज़ल संग्रह)
7. शहीद-ए-आज़म भगत सिंह
8. कण-क्षेपण (विज्ञान पुस्तक हिंदी में प्रकाशनाधीन)
साहित्यिक पत्रिकाओं, परमाणु ऊर्जा विभाग, राजभाषा विभाग, केंद्र सरकार की विभिन्न गृह पत्रिकाओं, वैज्ञानिक, आविष्कार में साहित्यिक एवं वैज्ञानिक रचनाएं
पुरुस्कार:
विभिन्न संस्थाओं द्वारा साहित्य सृजन के लिए
परमाणु ऊर्जा विभाग द्वारा राजभाषा गौरव पुरुस्कार- हिंदी में विज्ञान सेवाओं के लिये
सेवाएं :
‘हिंदी विज्ञान साहित्य परिषद’ में 20 वर्षों से समर्पित व्यवस्थापक ‘वैज्ञानिक’ त्रैमासिक हिंदी विज्ञान पत्रिका 2002-2010 (8 वर्षों तक)
वार्षिक ’अखिल भारत हिंदी विज्ञान लेख प्रतियोगिता’ आयोजक 2002-2010
विज्ञान प्रश्न मंचों का आयोजन 2002-2010 (8 वर्षों तक)
परमाणु ऊर्जा विभाग के सभी 30 स्कूलों में विज्ञान प्रश्न मंच का विस्तार
क्विज मास्टर
संपादक, ’वैज्ञानिक’ (हिंदी त्रैमासिक पत्रिका) सचिव, ‘हिंदी विज्ञान साहित्य परिषद’
संप्रति :वैज्ञानिक अधिकारी H, पदार्थ विज्ञान प्रभाग, भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र, मुंबई
निवास:13A, धवलगिरि बिल्डिंग, अणुशक्तिनगर, मुंबई - 400094
ईमेल :Kavi.kulwant@gmail.com
फोन :022-25595378 (O) / 09819173477 (R)