एक सीधी सरल लाइन लिखना चाहता हूँ जिसे आप समझ सकें ? जिसमें आपके सारे जवाब हों, आधे-अधूरे कुछ टूटे ख्वाब हों, दिनचर्या से खो चुके जज्बात हों, आपके अनुकूल ही सब बात हों। हिम्मत नहीं कि आपकी समझ पर प्रश्नचिन्ह लगाऊँ, ये समस्या मेरी है कि कैसे आपको समझाऊं? ये सब कुछ इतना आसान नहीं है, जमीन पथरीली है आसमान नहीं है। कितनी बार लिखा, कितना मिटाया, फिर भी हर बार पँक्ति को अधूरा पाया देखिए बातों को फिर कहाँ-कहाँ मोड़ गया, जो कहना था आज उसे फिर वहीं छोड़ गया। कि एक सीधी सरल लाइन लिखना चाहता हूँ जिसे आप समझ सकें ?
सक्षम द्विवेदी, 20 नया कटरा दिलकुशा पार्क, प्रयागराज। मो0 7380662596