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सुशील यादव

भरोसे का आदमी

भरोसे का आदमी ढूढते मुझे साढ़े सन्तावन साल गुजर गए|कोई मिलता नहीं | मार्निग वाक् वालो से मैंने चर्चा की वे कहने लगे यादव जी.... 'लगे रहो'.... | उनके 'लगे-रहो' में मुझे मुन्ना-भाई का स्वाद आने लगा | मैंने सोचा गनपत हमेशा कटाक्ष में बोलता है | उसकी बातों के तह में किसी पहेली की तरह घुसना पड़ता है | हममें से कई मारनिग-वाकिये,उनकी कटाक्ष पहेली सुलझाने में या तो अगले दिन की वाक् की प्रतीक्षा करते हैं, या ज्यादा बेसब्रे हुए लोग उनके घर शाम की चाय पी आते हैं| गनपत को इनकी 'अगुवाई -चार्ज' शायद महंगा न लगे, मगर भाभी जी, बिन बुलाये को झेलते वक्त जरूर ताने देती होंगी | किचन ,ड्राइंग से लगा हुआ होने से गृहणियों को अनेक फायदा होने की, बात में बहुत दमदार असर है | एक तरीके से वे बैंक-लोन ,इंश्योरेंस और पास-पड़ौसियों की, गतिविधियों की श्रोता बन कर, अपनी किटी-पार्टी को ज्ञान की लेटेस्ट किश्त जमा करती हैं | अगली सुबह गणपत 'बातो का एसिड टेस्ट-किट' लिए मिला | यादव जी ,आपने बताया नहीं, किस फील्ड में भरोसा चाहिए ....? यानी आदमी ...? वो स्वस्फूर्त केटेगरी-वाचन में लग गए | देखिये अभी इलेक्शन, नजदीक है नहीं, लिहाजा मान के चलें कि इस मकसद से दरकार नहीं होगी | वैसे हमारे पास दमदार ख़ास इसी काम के बन्दे हैं |जबरदस्त भरोसेदार | आपने फार्म भरा नहीं कि ये शुरू हो जाते हैं | निर्वाचन सूची का पन्ना-प्रमुख बनकर ,हर पन्ने के आठ-दस लोगों की कुटाई ,उठाई और धमकाइ वो जबरदस्त कर देते हैं कि, उस पन्ने का पूरा मोहल्ला-मेंबर, एक तरफा आपको छाप आता है | ये जीत की गेरंटी वाले लोग हैं | हमेशा डिमांड में रहते हैं | आपको अगर अगला मेयर लड़ना हो तो बात करूँ ...? मैंने झिझकते हुए कहा ....नहीं इस किस्म की जरूरत आन पड़ी तो जरूर कहेंगे | वे हुम, करके अगले टेस्ट की ओर बढे , आपको छोटे -मोटे काम जैसे माली - चौकीदार वगैरा चाहिए तो मैं बलदाऊ ,अरे वर्मा जी को बोल दूंगा |वे भी इन्तिजाम -मास्टर हैं | भेज देंगे | वे और खुलासा ,भरोसा-भेद प्रवचन में लगे थे जो शेष घुमन्तुओं के मर्म में उतर रहा था | मुझे मन ही मन अपने हाथ, गलत जगह डाल दिए होने का शक हुआ | मैंने वाक् में हाथ को झटके दिए | कहा गणपत भाई , भरोसे का आदमी, जैसा आपने इलेक्शन पन्ना-प्रमुख टाइप बयान किया हमारे लिए मिसफिट है | जिनकी बुनियाद ही धमकी-चमकी वाली हो, वे हमारे काम के नहीं हो सकते | उन्हें , जैसे हमने खरीदे या इंगेज किये हैं , वैसे ही कहीं ऊँची बोली या पैसो पर पलट भी तो सकते हैं ....? वे मेरी तार्किक-समझदारी की बात को गौर करने के बाद कहने लगे, आप सही फरमा रहे हैं | हमें किसी ऐंगल से समझौता करना तो पडेगा ...? अगर सभी, इसी सोच के हों तो आज पचासों साल से ये इलेक्शनबाज जिताते -हराते आ रहे हैं| ये एकाएक लुप्त हो जाने बाले जीव हैं नहीं | वे आगे, 'डाइनासोर के लुप्त होने की डार्विन थ्योरी' पे उतरते इससे पहले मेरा घर आ गया ,मैंने गेट खोल के अंदर जूता निकालते हुए अर्धांगनी से कहा ,ये गणपत जी अगले घण्टे दो घण्टे में आएं तो कह देना मैं पूजा में बैठा हूँ | वे मेरी पूजा में लगने वाले समय को जानते हैं | ख़ास बात ये कि अनवांटेड के आशंकित-आगमन पर मेरी पूजा, मैराथन स्तर पर होने लगती है | प्रभु रिजल्ट भी तुरन्त देते हैं ,वे जो बला माफिक होते हैं , टल जाते हैं | अगले दिन गणपत अपने कुत्ते का पट्टा, मय-कुत्ते के पकड़े आये | मैंने कहा आज इसे भी घुमाने ले आये....? वे बोले इसे घुमाने के लिए मेरे पास दूसरे भरोसे के ईमानदार आदमी हैं | आज मैंने इसे आपको बताने के लिए लाया हूँ कि इससे ज्यादा भरोसेमन्द कोई हो नहीं सकता | ये घर की निस्वार्थ रखवाली करता है ,क्या मजाल इनकी मर्जी के खिलाफ कोई बाउंड्री वाल तक पहुच सके | हमने इसको भरोसे के लायक बनाने में अपनी इनर्जी भी खूब लगाई है | आप कोई चीज दूर फेक देखो .... जैसे ये जुता ... ? उतारिये ,कमाल देखिये , 'सीज़न' का ..... आप पांच कदम चल भी नहीं पाएंगे, ये आपके कदमो में ला के रख देगा ...| मेरे संकोच की पाराकाष्ठा मुहाने पर थी | मुझे , पिछले हप्ते खरीदे अपने जूते की गति बनती सामने नजर आ रही थी | मैंने कहा गणपत जी आप अपनी फेक लीजिये | वे बोले जादूगर अगर अपनी ट्रिक, अपने सामान से करे तो लोग प्रभावित नहीं होते ... कोई वाहवाही नहीं देता कौन आपका जुता गुमा जा रहा है ... ? दीगर साथ के घुम्मकड़ों ने गणपत की बात का पुरजोर समर्थन किया | सीजन , जो गणपत की बात और अगले कदम की जैसे जानकारी रखता हो ,मेरे जूतों की तरफ घूर के देखने लगा | वे आनन-फानन मेरे जूते को पूरे जोर लगा के उछाल मारे | गणपत के जोश में पिछली गई रातों के फुटबॉल-क्रिकेट मैच का पुरजोर असर था | वे धमाके की स्पीड में यूँ फेके कि जूता सीधे दूर कीचड़ में जा धसा | उनका 'कुत्ता-भरोसा' पांच लोगों के बीच सिद्ध हो के टिक गया या यूँ कहूँ मेरे जूते की बलि चढ़ गई | इसे धोने, और इसके लिए किसी लघुकथा की तात्कालिक पैदायश, घर आने से पहले मुझे करनी थी | मैं उस बयान की रूपरेखा में जुट गया | तीसरे दिन तक कुत्ता प्रकरण की वजह से ,भरोसे के आदमी की भूमिका समाप्त नहीं हो पाई | चौथे दिन, मैंने विराम देने और गनपत को 'ढुंढाई-मुक्त ' घोषित करने का ऐलान कर दिया | सब को बताया कि मेरे बॉस को भरोसे का आदमी मिल गया है | सबने अपनी उत्सुकता दिखाई कि भरोसे के आदमी पर ,मैं विस्तार से प्रकाश डालूं | वे कहने लगे बॉस को किस काम के लिए कैसा आदमी ढूंढा गया है बताओ | मैंने कहा हमारे बॉस को अगले महीने फॉरेन टूर पर जाना है| वे आफिस के लिए एक जिम्मेदार अधिकारी ,घर और परिवार की देखरेख के लिए होनहार-सज्जन-सुशील , मेरे जैसे आदमी की तलाश थी | पूरे आफिस ने मेरे नाम की मुहर लगाईं तब जाके वे आश्वस्त हुए | आइये घर चलें, आप सभी को चाय पिलाई जाए | गणपत बोले बड़े उस्ताद हो ..भाई .? हमे क्या -पता था बॉस को आप सब्सिट्यूट कर रहे हैं |

susyadav7@gmail.com

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