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कुमार किशन कीर्ति

नारी शक्ति

क्या लिखूँ?कैसे लिखूँ?

कुछ शब्द ही नहीं मिल पा रहे हैं

नारी शक्ति की सम्मान में

अल्फाज ही नहीं

निकल रहे हैं

जी हाँ, नारी,शक्ति ही तो हैं

जो घर और ऑफिस

दोनों संभाला करती हैं

थके होने के बावजूद भी

काम किया करती हैं

नारी शक्ति से ही तो

घर स्वर्ग बनता है

इनके पलभर चले जाने से

सन्नाटा सा आ जाता है

आज की नारियां अब

अबला नहीं हैं, अपने

कदमों पर खड़ा होकर

इतिहास रच रही हैं

फिर भी, बहुत कुछ करना है

इनके लिए हमें

जिससे नारी शक्तिकरण

को बढ़ावा मिल सके

पंख फैलाकर पंछियों जैसी

लड़कियाँ गगन को छू सके

इस महिला दिवस के अवसर

पर मैं यह कहना चाहूँगा

नारी शक्ति का चाहे जैसा

भी रूप हो,समाज को

उन्हें सम्मान देना होगा

तभी तो सार्थक होगा

प्रतिवर्ष महिला दिवस मनाना

 

psonukumar80@gmail.com

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