(दोहा छंद) पेड़ लगाओ मिल सभी, देते हैं जी छाँव । शुद्ध हवा सबको मिले , पर्यावरण बचाव ।। पर्यावरण विनाश से, मरते हैं सब लोग । कहीं बाढ़ सूखा कहीं, जीव रहे हैं भोग ।। जब जब काटे वृक्ष को , मिलती उसकी आह । भुगत रहे प्राणी सभी , ढूँढ रहे हैं राह ।। सड़क बनाते लोग हैं , वृक्ष रहे हैं काट । पर्यावरण विनाश कर , देख रहे हैं बाट ।। पेड़ों से मिलती हवा , श्वासों का आधार । कट जाये यदि पेड़ तो , टूटे जीवन तार ।। माटी में मिलते सभी , सोना चाँदी हीर । पर्यावरण बचाय के , समझो माटी पीर ।। दो दिन की है जिंदगी , समझो इसका मोल । माटी बोले प्रेम से , सबसे मीठे बोल ।।
महेन्द्र देवांगन माटी (शिक्षक) पंडरिया छत्तीसगढ़ 8602407353