top of page

नवम्बर में कहानी ...

  • ई-कल्पना
  • 18 नव॰ 2024
  • 2 मिनट पठन

1.       कहानियाँ कुछ अच्छी नहीं आ रही हैं. जो लेखन के हिसाब से बढ़िया लगती हैं, उनमें विचार पिछड़े हुए होते हैं.

क्या हममें उत्साह कम होता जा रहा है? क्या नीरसता नए भावों की उछाल को पकड़ के रखे हुई है? 

जो भी है, कुछ करिये. हमने भी तय कर लिया है कि अगर अच्छी कहानियाँ नहीं आएंगी तो हम भी महीना टाप जाएंगे, लेकिन बिला वजह नहीं छापेंगे.


2.       कई कहानियाँ (20-25) नकारने के बाद, ऋतु त्यागी की यह कहानी अच्छी लगी. आप भी पढ़िये, और अपने कमेंट भेज कर ऋतु जी का जी खुश करिये. 😊


3.       मैंने देखा है कि कितना आसान होता है खुश रहना. अगर हम अपने आसपास के लोगों का जी खुश कर पाएं तो खुद-ब-खुद हमारा जी भी खुश रहने लगता है. हमें केवल जीवन से खुशी के फल-फूलों की उम्मीद नहीं करनी चाहिये, क्योंकि जीवन के उतार चढ़ाव में कभी हम आसमान की ऊंचाईयाँ छू लेते हैं, कभी ज़मीन पर पटके जाते हैं, कमर तुड़वा लेते हैं. इस तरह फल पाने में हमारा कोई कंट्रोल नहीं होता.


इसीलिये माफ़ कीजियेगा, छोटे मुंह से बड़ी बात कहने जा रही हूँ, मुझे इतना समझ आ गया है कि खुश रहने के लिये हमको किसी न किसी बात में डूबे रहना है. चाहे वो हमारे द्वारा लिखे गए शब्द हों, या फिर किसी और के लिखे शब्दों के लिये तारीफ़. हमको तो बस इन्ही तरह की बातों में डूबे रहना है.


बहरहाल, हमें आपकी ध्यान से लिखी, हैरान कर देने वाली, अच्छी, मनोरंजक कहानियों का इंतज़ार है. लिखिये और भेजिये.


4.       अच्छा, अमीर मीनाई (1829-1900) की प्रसन्न कर देने वाली दो लाइनें पढ़ी, मस्त लगीं, सोचा यहाँ शेयर कर दूं.

जब सन्मुख हो गए दिलबर के, मंजूर यही एक बात रखो,

टुक देख लिया, दिल शाद किया, खुश वक्त हुए, और चल निकले.



मीनाई खानदान लखनऊ के मीना बाज़ार इलाके में रहता था जिसे गदर के बाद अंग्रेज़ों ने उजाड़ दिया था. जब भी उस अलग दौर में रहने वाले ऐसे हुनरमंद सामने आते हैं, तो यही सवाल मन में उठता है कि कौन थे ये मस्त लोग जो ऐसा लिखते थे? यदि आप में से कोई इनके बारे में बात को और आगे बढाना चाहे, तो कमेंट में लिख कर हमारा ज्ञान बढ़ा सकते हैं.


コメント

5つ星のうち0と評価されています。
まだ評価がありません

評価を追加

आपके पत्र-विवेचना-संदेश
 

ई-मेल में सूचनाएं, पत्रिका व कहानी पाने के लिये सब्स्क्राइब करें (यह निःशुल्क है)

धन्यवाद!

bottom of page