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ई-कल्पना सम्पादकीय

आने वाले "पाँच कहानियाँ" में चयनित कहानियाँ

पिछले तीन महीनों में कई सारी बढ़िया कहानियाँ पढ़ने को मिलीं. यह कहा जा सकता है कि कहानी पढ़ने का हमारा शौक खूब पूरा हुआ. ...


हाँ, कुछ सवाल लगातार सामने आए.

1. लोग रचना कृतिदेव में क्यों लिखते हैं? क्या उन्हें मालुम नहीं कि कहानी पढ़ने की शुरुआत से पहले इसे कनवर्ट करना पड़ता है और कहानी पढ़ने का उत्साह ज़रा कम हो जाता है?

2. अल्प-विराम व विराम चिन्ह से पहले स्पेस डालना सही लेखन प्रणाली नहीं है, फिर भी इतने सारे लेखकों के लिये आखिरी शब्द और विराम चिन्ह के बीच यह रिक्त स्थान डालना इतना ज़रूरी क्यों है?


और भी बहुत सवाल हैं, जैसे बहुत सारे बिंदुओं का क्रम (......) इतने सारे लेखक पसंद क्यों करते हैं, वगैरह. लेकिन हम यह पोस्ट शिकायतों से नहीं भरना चाहते. अगले खत में बाकी की शिकायतें डालते रहेंगे. फिलहाल यह कहना चाहेंगे कि ...

  1. कई सारी लघु कहानियाँ आईं. इनमें से बहुत सारी बढ़िया थीं. मगर यह बात हम कई बार कह चुके हैं कि ई-कल्पना में हमें विशेषतः कहानी विधा में रुचि है. (कहानी विधा से हमारा अभिप्राय :- कहानी लघु कहानी से अलग है, इसकी रचना शैली में ज़्यादा गहराई होती है; लघु कहानी के अपने गुण हैं, लेकिन ई-कल्पना में हम कहानी ही पढ़ना चाहते हैं) इसलिये कई सारी बहुत ही बढ़िया रचनाओं को नहीं चुना जा सका.

  2. यह बात हम कितनी बार कह चुके हैं कि यदि आपकी कहानी कहीं और प्रकाशित नहीं हुई है, तब ही हमें भेजें. फिर भी इतने सारे लेखक हमें लिख कर यह दावा करते हुए कि उनकी भेजी कहानी कहीं और प्रकाशित नहीं हुई है अपनी पूर्व प्रकाशित कहानी भेज देते हैं. इस बारे में मैं बस इतना कहूंगी कि यह देखकर ई-कल्पना में हम सबों को बड़ा दुख होता है.

  3. जो लेखक नीचे लिखी सूची में अपना नाम नहीं पा सके, उन लेखकों से निवेदन है कि भविष्य में ई-कल्पना को अपने मास्टरपीस भेजने में न हिचकिचाएं. अपनी कहानी भेजते रहें.

  4. जो कहानियाँ हमारी टीम को सबसे पसंद आईं और जिन्हें हम "पाँच कहानियाँ" में प्रकाशित करेंगे, वह नीचे सूचित हैं

"पाँच कहानियाँ" अंक 23 में

लट्टू की माँ – मनीष कुमार सिंह

पीला गुलाल – सुदर्शन वशिष्ठ

भूखी मौत – धीरज श्रीवास्तव

प्रेतबाधा – अभिज्ञात

सुपारी - हुस्न तबस्सुम निहाँ


"पाँच कहानियाँ" अंक 24 में

सुलझते धागे मोह केे – डॉ. रमाकांत शर्मा

कुर्ती से झांकती नीली लकीरें - अनघा जोगलेकर

माणस बीज – सुदर्शन वशिष्ठ

चमत्कारी कुदाल – देवी प्रसाद गौड़

नमलूस का गुनाह – शमोइल अहमद


"पाँच कहानियाँ" अंक 25 में

स्कूल चलें हम – सुषमा मुनीन्द्र

बिल्लो - दिलीप कुमार

दाँव – श्रद्धा पांडे

पश्चाताप – अर्चना सिंह

भावनात्मक रिश्ता – मनमोहन भाटिया


"पाँच कहानियाँ" अंक 23, 24, 25 क्रमशः नवम्बर 14 2020, जनवरी 16 2021 व मार्च 13 2021 को प्रकाशित होगा. आने वाले दिनों व हफ्तों में एक-एक कर हम यह कहानियाँ ई-कल्पना ब्लॉग में प्रकाशित करेंगे.


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