पिता की पीठ सील थी
जिस पर मां पीसती थी नमक मिर्च।
घो़डे़ की पीठ थी पिता की पीठ
पसलियों में मारते थे बच्चे एड़ियां।
सख्तजान थे पिता
कन्धे पर उठाए हमें
चढ़ जाते थे पहाड़।
पीठ तो पीठ
छाती भी थी चट्टान
जिस पर मूंग दलते थे नाते-रिश्ते।
जब-जब होती अनहोनी
वे बस हंस देते।
बहुत शरीफ थे पिता
चुपचाप सुनते मां के ताने
भाईयों के बहाने।
जेब में न हों चाहे पैसे
सदा अमीर थे पिता।
उनकी जेब भरी रहती सदा
बच्चों के लिए।
बाहर रहते थे हमेशा पिता
घर में उनकी रूह घूमती
होते नहीं थे पिता घर
लगता होंगे यहीं कहीं।
पिता लगवाते थे टांके
फटे जूतों में चोरी से
बदलवाते थे फटी कॉलर
चोरी से गांव के दर्जीं से
पिता सोते थे सदा
मां के सोने पर।
लोग कहते रहते कई कुछ
रोते नहीं थे पिता कभी
हां, वे रोए थे जब जन्म हुआ मेरा
मां के चीखने चिल्लाने पर।
लेखक परिचय – सुदर्शन वशिष्ठ
24 सितम्बर 1949 को पालमपुर (हिमाचल) में जन्म। 125 से अधिक पुस्तकों का संपादन/लेखन।
वरिष्ठ कथाकार। अब तक दस कथा संकलन प्रकाशित। चुनींदा कहानियों के पांच संकलन । पांच कथा संकलनों का संपादन।
चार काव्य संकलन, दो उपन्यास, दो व्यंग्य संग्रह के अतिरिक्त संस्कृति पर विशेष काम। हिमाचल की संस्कृति पर विशेष लेखन में ‘‘हिमालय गाथा’’ नाम से सात खण्डों में पुस्तक श्रृंखला के अतिरिक्त संस्कृति व यात्रा पर बीस पुस्तकें। पांच ई-बुक्स प्रकाशित।
जम्मू अकादमी, हिमाचल अकादमी, तथा, साहित्य कला परिषद् दिल्ली से उपन्यास, कविता संग्रह तथा नाटक पुरस्कत। ’’व्यंग्य यात्रा सम्मान’’ सहित कई स्वैच्छिक संस्थाओं द्वारा साहित्य सेवा के लिए पुरस्कृत।
अमर उजाला गौरव सम्मानः 2017। हिन्दी साहित्य के लिए हिमाचल अकादमी के सर्वोच्च सम्मान ‘‘शिखर सम्मान’’ से 2017 में सम्मानित।
कई रचनाओं का भारतीय तथा विदेशी भाषाओं में अनुवाद। कथा साहित्य तथा समग्र लेखन पर हिमाचल तथा बाहर के विश्वविद्यालयों से दस एम0फिल0 व दो पीएच0डी0।
पूर्व सदस्य साहित्य अकादेमी,
पूर्व सीनियर फैलो: संस्कृति मन्त्रालय भारत सरकार, राष्ट्रीय इतिहास अनुसंधान परिषद्, दुष्यंतकंमार पांडुलिपि संग्रहालय भोपाल।
वर्तमान सदस्यः राज्य संग्रहालय सोसाइटी शिमला, आकाशवाणी सलाहकार समिति, विद्याश्री न्यास भोपाल।
पूर्व उपाध्यक्ष/सचिव हिमाचल अकादमी तथा उप निदेशक संस्कृति विभाग।
सम्प्रति: ‘‘अभिनंदन’’ कृष्ण निवास लोअर पंथा घाटी शिमला-171009.
94180.85595
ई-मेल - vashishthasudarshan@gmail.com
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