फ़ैशन के परिधानों की तरह
बेईमानी, और ईमानदारी भी
कई साइज़ों में आती हैं -
साथ में विभिन्न रंगों व शेडों में।
वक़्त, मौके, रीति और आवश्यकता-अनुसार
अक्सर बदला जाता है इन ओढ़े
वैचारिक लबादों को भी।
बाध्यता नहीं कोई,
किसी विलोम-शब्दीय प्रकृति-अनुसार
यह रूठी ही रहें आपस में निरंतर;
दूर-दूर रह चलती रहें चाहे समांतर-
मिल भी सकती हैं यह अभिसारी स्वार्थवश
रेल की पटरियों की तरह
किसी मोड़ पर आगे जा
रास्ते बदलते हुए।
लेखक परिचय – बिमल सहगल
बिमल सहगल
(फोन: 9953263722, ईमेल: bimalsaigal@hotmail.com)
दिल्ली में जन्मे बिमल सहगल, आई एफ एस (सेवानिवृत्त) ने दिल्ली विश्वविद्यालय से शिक्षा प्राप्त की। अंग्रेजी साहित्य में ऑनर्स के साथ स्नातक होने के बाद, वह विदेश मंत्रालय में मुख्यालय और विदेशों में स्तिथ विभिन्न भारतीय राजदूतवासों में एक राजनयिक के रूप में सेवा करने के लिए शामिल हो गए। ओमान में भारत के उप राजदूत के रूप में सेवानिवृत्त होने के बाद भी वह कई वर्षों तक विदेश मंत्रालय को अपनी सेवाएँ प्रदान करते रहे।
कॉलेज के दिनों से ही लेखन के प्रति रुझान होने से 1973 में संवाददाता के रूप में दिल्ली प्रेस ग्रुप ऑफ पब्लिकेशन्स में शामिल हुए। अखबारों और पत्रिकाओं के साथ लगभग 50 वर्षों के जुड़ाव के साथ, उन्होंने भारत और विदेशों में प्रमुख प्रकाशन गृहों में महत्वपूर्ण योगदान दिया है और भारत व विदेशों में उनकी सैकड़ों रचनाएँ प्रकाशित हुई हैं। वर्ष 2014 से 2017 तक उन्होंने अन्तर्राष्ट्रिय अंग्रेजी अखबार ओमान ऑब्जर्वर के लिए एक साप्ताहिक कॉलम लिखा। लेखन के इलावा पेंटिंग व शिल्पकारी में भी रुचि रखते हैं। एक अनूठी शिल्पकला ‘फ्लोरल-फ़ौना’ के प्रचलन के लिए भी जाने जाते हैं।
कहानी 6 की प्रतियाँ ऐमेजौन या गूगल प्ले पर खरीदी जा सकती हैं
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